क्यों होती है गर्मी के मौसम में मौतें? जानना बेहद जरूरी है

क्यों होती है गर्मी के मौसम में मौतें? जानना बेहद जरूरी है

भिलाई। देश के कई इलाकों में इस समय भीषण गर्मी पड़ रही है. गर्मी की वजह से काफी परेशानी हो रही है. तेज गर्मी में हीट स्ट्रोक से मौत हो रही है. ऐसे में यह जानना आपके लिए जरूरी है कि गर्मी में शरीर का तापमान क्यों बढ़ने लगता है. ये कितना खतरनाक है और मौत का कारण कैसे बन सकता है?

डॉक्टरों के मुताबिक जब शरीर का टेंपरेचर बढ़ता है तो शरीर गर्म होता है और बुखार आता है, लेकिन बुखार और गर्मी के कारण होने वाले बुखार के अंतर को समझना जरूरी है. अगर शरीर का तापमान 98. 6 डिग्री फारेनहाइट है तो ये नॉर्मल है, लेकिन अगर ये 100 या 102 तक जाता है तो इसको फीवर कहते हैं. आमतौर पर सर्दी हो या गर्मी इतना तापमान होने पर वह बुखार कहलाता है, लेकिन अगर गर्मियों के मौसम में शरीर का तापमान 103 डिग्री से अधिक होने लगता है तो ये खतरनाक हो सकता है.

अगर शरीर का तापमान 44 डिग्री सेल्सियस तक चला जाए तो इस स्थिति में ब्रेन डैमेज हो जाता है और टेंपरेचर के 44 तक पहुंचने के बाद मौत हो जाती है. यह पूरी प्रक्रिया बहुत तेजी से भी हो सकती है. इसकी शुरुआत ज्यादा पसीना आने से हो सकती है. इसका असर स्किन, किडनी, हार्ट और ब्रेन सभी अंगों पर पड़ता है।

शरीर को ठंडा रखने के लिए कूलिंग सिस्टम काम करता है. जब बाहर गर्मी बढ़ने लगती है तो शरीर का तापमान भी बढ़ने लगता है. इस दौरान ब्रेन टेंपरेचर को कंट्रोल करने की कोशिश करता है. इस दौरान शरीर में मौजूद ग्लैंड पसीना निकालना शुरू कर देते हैं. इस पसीने से स्किन बाहर के वातावरण में चल रही हवा से खुद को ठंडा करती है. इससे शरीर के अंदर के अंग भी खुद को ठंडा करना शुरू कर देते हैं.

अगर बाहर का तापमान बहुत बढ़ जाता है तो पसीना भी जरूरत से ज्यादा निकलने लगता है. इससे बॉडी में सोडियम की कमी हो जाती है. इसका अंग कई अंगों पर पड़ता है. इसका असर सबसे पहले स्किन पर होता है और स्किन पर लाल रंग के दाने निकलने लगते हैं. कुछ मामलों में तापमान बढ़ने का असर सीधा दिमाग पर भी हो सकता है, जो जानलेवा होता है.

जब ज्यादा पसीना बहता है तो दिमाग का सिग्नल सिस्टम खराब होने लगता है. इससे चक्कर आने लगते हैं और अचानक बेहोशी आ जाती है. जब शरीर का टेम्परेचर बढ़ता है तो पसीना ज्यादा आता है. ऐसा आमतौर पर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस होने पर होता है. इस स्थिति में पानी की कमी हो जाती है. डिहाइड्रेशन के कारण कमजोरी आने लगती है और थकान हो जाती है. अगर ये स्थिति कंट्रोल न हो तो तापमान लगातार बढ़ता है और 44 डिग्री सेल्सियस पहुंच जाता है.

ऐसे में क्या करें

  1. अगर बाहर जाना जरूरी है तो सिर को कवर रखें.
  2. गर्भवती महिलाएं और छोटे बच्चे बाहर न निकलें
  3. पानी के अलावा नींबू का रस और नारियल पानी लें
  4. दिन में कम से कम 3 लीटर पानी पिएं
  5. दोपहर 12 से 4 के बीच बाहर धूप में न जाएं

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