हाईकोर्ट के निर्देश पर SDM ने हुडको मेंं खुली जमीन का निरीक्षण कर नगर निगम को किया हैंडओवर
भिलाई। हाईकोर्ट के आदेश पर एसडीएम भिलाई ने रबिन्द्र निकेतन हुडको कालीबाड़ी के सामने स्थित खुली जमीन का निरीक्षण कर उसे अपने आधिपत्य में लेकर भिलाई नगर निगम को हैंडओवर किया। हाईकोर्ट में इसकी अगली सुनवाई 19 दिसंबर को है।
भिलाई नगर एसडीएम हितेश पिस्दा ने हाईकोर्ट के आदेश पर रबिन्द्र निकेतन कालीबाड़ी हुडको के सामने स्थित खुली जमीन का निरीक्षण किया। इस दौरान तहसीलदार हुलेश्वर नाथ खुटे, नगर निगम भिलाई जोन 5 के आयुक्त कुलदीप गुप्ता सहित मंदिर समिति और दूसरे पक्ष के लोग मौजूद थे। एसडीएम श्री पिस्दा ने खुली जमीन एवं फेंसिंग का निरीक्षण कर पंचनामा बनाया और उसे सभी के समक्ष पढ़कर सुनाया। तत्पश्चात खुली जमीन को अपने आधिपत्य में लेते हुए एसडीएम ने जोन आयुक्त को हैंडओवर किया। एसडीएम श्री पिस्दा ने जोन आयुक्त को कहा कि अब से खुली जमीन नगर निगम के अधीन है। शुल्क को लेकर जो भी निर्णय होगा नगर निगम लेंगे।
एसडीएम श्री पिस्दा से पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हाईकोर्ट के आदेश पर खुली जमीन का निरीक्षण किया गया। यहां हाईकोर्ट के आदेश पर रबिन्द्र निकेतन कालीबाड़ी हुडको समिति द्वारा गार्डन के साथ ही फेंसिंग भी किया गया है। फेंसिंग में किसी भी प्रकार का कंटीले तार नहीं लगाया गया है जिससे लोगों को नुकसान पहुंचे। हाईकोर्ट ने यह भी निर्देशित किया था कि गार्डन में की गई फेंसिंग जाली से याचिकाकर्ताओं को आवागमन में कोई बाधा तो उत्पन्न नहीं हो रहा है। निरीक्षण दौरान एसडीएम ने पाया किसी के घर के सामने फेंसिंग नहीं है।
रबिन्द्र निकेतन कालीबाड़ी समिति ने गार्डन निर्माण में किया लाखों रुपए खर्च
रबिन्द्र निकेतन कालीबाड़ी समिति हुडको के बबलू बिश्वास ने बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर यहां गार्डन का निर्माण किया गया है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों के सहमती से ही गार्डन निर्माण का आदेश दिया था। इस गार्डन के निर्माण में लाखों रुपए खर्च आया है जिसे रबिन्द्र निकेतन कालीबाड़ी समिति द्वारा वहन किया गया है, जबिक दूसरे पक्ष के लोगों ने इस गार्डन के निर्माण में कोई सहयोग नहीं देते हुए उल्टा विरोध किया। श्री बिश्वास ने बताया कि एसडीएम द्वारा निरीक्षण के बाद पंचनामा बनाया गया। जिसमें दोनों पक्षों को हस्ताक्षर करना था लेकिन रविन्द्र निकेतन समित के लोगों के हस्ताक्षर के बाद याचिकाकर्ताओं ने हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया।