महादेव सट्टा एप पर ईडी के बाद अब एनआईए की नजर, पाकिस्तान से लिंक, टेरर फंडिंग का भी शक

दुबई, अमेरिका और पाकिस्तान का मिला लिंक

महादेव सट्टा एप पर ईडी के बाद अब एनआईए की नजर, पाकिस्तान से लिंक, टेरर फंडिंग का भी शक

  
रायपुर। सट्टेबाजी के दो आॅनलाइन प्लेटफार्म पर केंद्रीय प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के बाद नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) की नजर है क्योंकि पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान और उसके आसपास के देशों से भी आॅनलाइन दांव लिया जा रहा है। वहां भी सट्टे की मास्टर आईडी चल रही है। पैसों का ट्रांजेक्शन किया जा रहा है। एनआईए इसमें टेटर फंडिंग का लिंक ढूंढ़ रही है। चार दिन पहले ईडी के बाद एनआईए के अधिकारियों ने दुर्ग पुलिस से संपर्क किया है। कार्पाेरेट, शेल कंपनियों और एनजीओ के खाते की जानकारी मांगी गई है, जिसमें सट्टे का पैसा जमा हो रहा है।
दोनों केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रही है। इन खातों से पैसा कहां ट्रांसफर हुआ है? पैसों को कहां और किसने निकाला है? खाता किसने खुलवाया है? ट्रांजेक्शन की पूरी जानकारी खंगाली जा रही है। वहीं इसमें पॉलिटिकल एंगल भी खंगाला जा रहा है। इसमें कोई राजनीतिक पार्टी या राजनेता तो नहीं जुड़ा है। चर्चा है कि आने वाले समय में केंद्रीय एजेंसी भी इस पर बड़ी कारर्वाई कर सकती है।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार कुछ दिन पहले ईडी के अधिकारियों ने दुर्ग पुलिस के कुछ टीआई और अधिकारियों से मुलाकात की थी। उनसे महादेव बुक से जुड़े सरगनाओं की जानकारी मांगी थी। उनकी हिस्ट्री से लेकर फोटो मांगी गई थी। चार दिन पहले एनआईए से जुड़े लोगों ने भी पुलिस से संपर्क किया था। उनसे पकड़े गए आरोपियों और ट्रांजेक्शन की जानकारी मांगी गई है। सूत्रों के अनुसार आॅनलाइन सट्टा एप की जांच के लिए केंद्रीय एजेंसियों की अलग विंग काम कर रही है। इसके नेटवर्क को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है।

रायपुर-दुर्ग पुलिस को अब तक की जांच में दुबई, अमेरिका और पाकिस्तान का लिंक मिला है। पुलिस की पड़ताल में खुलासा हुआ है कि रैकेट का सरगना सौरभ चंद्राकर, रवि उत्पल, कपिल चेलानी और अन्य दुबई शिफ्ट हो गए हैं। अपने परिजनों को भी साथ ले गए हैं। आरोपियों के रिश्तेदार अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। वे ही आॅनलाइन सट्टे को आॅपरेट कर रहे हैं। इसमें पाकिस्तान के दो कारोबारी भी शामिल हैं। केंद्रीय एजेंसियों को शक है कि आतंकी संगठन इन एप के माध्यम से फंडिंग कर रहे हैं। संगठन से जुड़े लोगों को पैसा पहुंचाया जा रहा है।