घोर लापरवाही: भिलाई के मुक्तिधाम में 49 लाख रुपए से बने विद्युत शवदाह गृह का हाल बेहाल, 4 घंटे में जलता है शव, न ग्रीसिंग न ऑयलिंग, समय पर दरवाजा भी नहीं खुलता

रामनगर मुक्तिधाम में 6 जनवरी से शुरू की गई है व्यवस्था

घोर लापरवाही: भिलाई के मुक्तिधाम में 49 लाख रुपए से बने विद्युत शवदाह गृह का हाल बेहाल, 4 घंटे में जलता है शव, न ग्रीसिंग न ऑयलिंग, समय पर दरवाजा भी नहीं खुलता

भिलाई। 49 लाख रुपए खर्च कर दुर्ग जिले का पहला विद्युत शवदाह गृह भिलाई के रामनगर मुक्तिधाम में प्रारंभ की गई है। इसे स्थापित किए करीब 7 माह ही हुए होंगे कि देखरेख की अभाव में अभी से इसमें कई खामियां नजर आने लगी है। समय-समय पर देखरेख व ग्रीसिंग नहीं होने के चलते जब लोग शव लेकर पहुंचते हैं तो उसका दरवाजा ही नहीं खुलता। मजबूरन लोगों को लकड़ी की चिता पर अंतिम संस्कार करना पड़ रहा है। बारिश के दिनों में लोगों की परेशानी और बढ़ गई है। ढेड़ से दो घंटे में विद्युत शवदाह गृह में जलने वाली मृत देहों को अब 4 घंटे जलने में लग जाते हैं। विद्युत शवदाह के लिए 550 से 600 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती लेकिन वर्ततान में 450 डिग्री पर काम कर रहा है। कुल मिलाकर आमजनता का पैसा खर्च कर 49 लाख रुपए में विद्युत शवदाह गृह तो स्थापित कर दी गई है लेकिन इसके देखभाल में भिलाई निगम प्रशासन लापरवाही उजागर होती है। आज गुरुवार को शव दाह करने रामनगर मुक्तिधाम पहुंचे लोगों ने नाराजगी व्यक्ति करते हुए भिलाई नगर निगम प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आराप लगाया है। 
ज्ञात हो कि दुर्ग जिले का पहला विद्युत शवदाह गृह भिलाई के रामनगर मुक्तिधाम में 6 जनवरी   2023 से उसे शुरू किया गया है। पहला शवदाह बंगाली समाज के लोगों की मौजूदगी में मृतक राधा श्याम कर्माकर का किया गया था। टेस्टिंग का पूरा कार्य भिलाई नगर निगम के महापौर नीरज पाल व आयुक्त रोहित व्यास की निगरानी में हुई थी। विद्युत शवदाह गृह को चालू करने के लिए कई दिनों से प्रक्रियाएं चली। कई दिन तक इसकी टेस्टिंग की गई। टेस्टिंग की प्रक्रिया पूरी होने के बाद विद्युत शवदाह गृह को प्रारंभ किया गया। बारिश के दिनों में भी विद्युत शवदाह गृह काफी कारगार साबित होने की बात कही गई थी क्योंकि इन दिनों अधिकतर लकड़ी और कंडे बारिश में भीग जाते हैं। इससे शव को जलाने में परेशानी होती है लेकिन देखरेख की अभाव में व्यवस्था चौपट हो गई है। विद्युत शवदाह गृह के निर्माण में करी 49 लाख रुपए खर्च हुए हैं। बताया जाता है कि इसके संचालन और संधारण के लिए एजेंसी को हायर किया गया है। एजेंसी 2 साल तक कंपनी मशीन का मेंटनेस देखेगी। साथ ही निगम कर्मचारियों को भी इसके संचालन के लिए प्रशिक्षण दिया जा चुका है। 

विद्युत शवदाह गृह 2 के बजाए लगा रहा है 4 घंटे का समय
जिस समय इसका उद्घाटन किया गया था तब बताया गया था कि विद्युत शवदाह गृह में मात्र 1.30 से 2 घंटे के भीतर प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और एक दिन में करीब 8 शवदाह हो पाएंगे। लेकिन वर्तमान स्थिति कुछ और ही बयां करती है। नाम न छापने की शर्त पर मुक्तिधाम के कर्मचारियों ने बताया कि शुरू-शुरू में सब ठीक चल रहा था। वर्तमान में पॉवर कम होने की वजह से एक शव को जलने में 4 घंटे का समय लगता है। साथ ही ग्रीसिंग के अभाव में दरवाजा भी समय पर नहीं खुलता। कुल मिलाकर मेंटेनेंस के अभाव में समस्या उत्पन्न हुई है।

अंतिम संस्कार करने मुक्तिधाम पहुंचे लोग हुए हताश
आज गुरुवार को हरिनगर दुर्ग निवासी रंजीत चौधरी का अंतिम संस्कार के लिए रामनगर मुक्तिधाम पहुंचे लोगों ने बताया कि बरसात में लकड़ी गिली होने के कारण वे विद्युत शवदाह में अंतिम संस्कार का निर्णय लिया गया था। उसे ऑपरेट करने वाले व्यक्ति ने बताया कि 2 घंटा रुकना पड़ेगा। गर्म होने में समय लगता है। पूजा पाठ के बाद शव को लोहे के स्टैंड पर रखा गया। काफी देर प्रयास के बाद कर्मचारियों के पसीने छुट गए लेकिन विद्युत शवदाह का दरवाजा ही नहीं खुला। ऐसे में शव को वापस वहां से उठाकर दूसरी स्थान पर ले गए जहां लकड़ी जलाकर अंतिम संस्कार किया गया। इस व्यवस्था से नाराज लोगों ने भिलाई नगर निगम प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आराप लगाया है। 

शव कम जलते है इसलिए आ जाती है समस्या
वहीं इस विषय में जब रामनगर मुक्तिधाम के इंचार्ज कृष्णा देशमुख से चर्चा की गई तो उन्होंने कहा कि शव कम जलने के कारण विद्युत शवदाह गृह मशीन में समस्या आ जाती है। मेंटेनेंस एजेंसी को सूचना दी गई है। जल्द प्रारंभ हो जाएगा।