अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाना देशद्रोह नहीं कहा जा सकता, चिन्मय कृष्ण दास प्रभु की रिहाई की मांग, देखें VIDEO
भिलाई। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के विरोध में प्रदर्शन करने पर इस्कॉन के चिन्मय कृष्ण दास प्रभु को देशद्रोह और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में बांग्लादेश सरकार के आदेश पर ढाका एयरपोर्ट से गिरफ्तार करने के उपरांत अदालत ने जमानत देने से इनकार करते हुए जेल भेजने के आदेश को छत्तीसगढ़ बंगाली मित्र समाज के प्रदेशाध्यक्ष सुमन शील ने बांग्लादेश सरकार की खास तौर पर हिंदुओं के खिलाफ हमला बताया है। इस घटना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए है। सुमन शील ने भारत सरकार से बांग्लादेश सरकार से बात कर रिहाई कराने की मांग की है और यह बताने का आग्रह किया है कि बांग्लादेश में चरमपंथियों की ओर से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमले हुई है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के घरों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के साथ-साथ चोरी और तोड़फोड़ और देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले दर्ज हैं। दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अभी भी छुपे हुए है। लेकिन शांतिपूर्ण सभाओं के जरिए जायज़ मांगें पेश करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ़ आरोप लगाए जा रहे हैं । वहीं सेक्टर 6 कालीबाड़ी के संजय दत्ता ने कहा कि बांग्लादेश में लगातार हिन्दूओं पर अत्याचार किए जा रहे है। मंदिरों को तोड़ा जा रहा है। हिन्दू संत के गिरफ्तारी पर भारत सरकार को भी तुरंत एक्शन लेना चाहिए।
ढाका पुलिस द्वारा इस्कॉन बांग्लादेश के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को हिरासत में लिए जाने पर केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने कहा, "चिन्मय प्रभु की गिरफ़्तारी और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हमला चिंताजनक है। हम मांग करते हैं कि उन्हें तुरंत रिहा किया जाए क्योंकि वे शांतिपूर्ण तरीके से विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। बांग्लादेश में राजनीतिक बदलाव के बाद से हिंदू मंदिरों को नष्ट किया जा रहा है और हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं। इसके खिलाफ़ आवाज़ उठाना देशद्रोह नहीं कहा जा सकता।
बांग्लादेश में हुई हिंसा पर अभिनेता और बीजेपी सांसद अरुण गोविल ने कहा, "यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है, ऐसा कहीं नहीं होना चाहिए, लेकिन यह लंबे समय से हो रहा है. पहले मंदिरों पर हमला किया गया। इसलिए हमारी सरकार और अन्य अंतरराष्ट्रीय लोगों को यह सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए कि हिंदू वहां सुरक्षित महसूस करें, और अगर वे तब भी सुरक्षित महसूस नहीं कर सकते हैं, तो उनके लिए कोई और व्यवस्था होनी चाहिए या उन्हें देश वापस लाया जाना चाहिए।
क्या है मामला
ज्ञात हो कि 30 अक्तूबर को बांग्लादेश में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने के आरोप में देशद्रोह अधिनियम के तहत चिन्मय कृष्ण दास प्रभु समेत 19 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। इस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार भी किया जा चुका है। आरोप है कि 25 अक्तूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में सनातन जागरण मंच ने आठ सूत्री मांगों को लेकर एक रैली की थी। इस दौरान एक चौक पर स्थित आजादी स्तंभ पर कुछ लोगों ने भगवा ध्वज फहराया था। इस ध्वज पर आमी सनातनी लिखा हुआ था। इसे लेकर चिन्मय कृष्ण दास पर राष्ट्रीय झंडे की अवमानना व अपमान करने का आरोप लगाया गया है। चिन्मय प्रभु के खिलाफ बांग्लादेश दंड संहिता की धारा 120(बी), 124(ए), 153(ए), 109 और 34 के तहत देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था। हालांकि, कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए उन्हें जेल भेज दिया।