मित्रता की मिसाल: कैंसर पीड़ित ने अंतिम पत्र में जताई थी इच्छा, दोस्त ने शव यात्रा में बैंड बाजे के साथ किया नृत्य और दी विदाई

मित्रता की मिसाल: कैंसर पीड़ित ने अंतिम पत्र में जताई थी इच्छा, दोस्त ने शव यात्रा में बैंड बाजे के साथ किया नृत्य और दी विदाई

मंदसौर (मध्यप्रदेश)। दोस्ती का रिश्ता खून के रिश्ते से भी बड़ा होता है। मध्यप्रदेश के मंदसौर जिले से इसका भावुक उदाहरण सामने आया है। यहां जवासिया गांव के रहने वाले कैंसर पीड़ित सोहनलाल जैन ने अपनी मृत्यु से पहले एक भावनात्मक पत्र लिखकर अपनी अंतिम इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने अपने प्रिय मित्रों अंबालाल प्रजापत और शंकरलाल पाटीदार को लिखा था कि वे उनकी अंतिम यात्रा में नाचते-कूदते विदाई दें, ना कि रोकर।

यह पत्र 9 जनवरी 2021 को लिखा गया था, जिसमें सोहनलाल ने लिखा अंबालाल और शंकरलाल को मेरा अंतिम राम-राम। मेरी अंतिम यात्रा में रोना नहीं, खुशी से बैंड-बाजे के साथ नाचते हुए मुझे विदा करना। अगर मुझसे कोई भूल हुई हो तो क्षमा करना। समय बीता, बीमारी ने सोहनलाल को परास्त कर दिया। लेकिन उनके दोस्त उनकी अंतिम इच्छा नहीं भूले। जब सोहनलाल का निधन हुआ, तब उनके दोस्त अंबालाल ने गांववालों के साथ मिलकर बैंड-बाजे के साथ नाचते हुए अंतिम यात्रा निकाली। शव यात्रा में जहां आमतौर पर मातम का माहौल होता है, वहां सोहनलाल को हंसते-हंसते, मुस्कुराते हुए विदा किया गया। यह नजारा देखने वाले हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं, लेकिन उस विदाई में एक सच्ची मित्रता की अमर कहानी भी शामिल थी। एक ऐसा उदाहरण जो आज की दुनिया में विरला ही देखने को मिलता है। यह घटना साबित करती है कि मृत्यु एक अंत नहीं, एक नई शुरुआत है — और सच्चा दोस्त वही है जो आखिरी वक्त तक दोस्ती निभाए।