दिल का दौरा पड़ने से पद्मश्री डॉ. सुरेंद्र दुबे का निधन

रायपुर। पद्मश्री प्रसिद्ध कवि, व्यंग्यकार और आयुर्वेदाचार्य डॉ. सुरेंद्र दुबे 72 वर्ष अब हमारे बीच नहीं रहे, लेकिन उनकी रचनाएं, मंचीय प्रस्तुतियाँ और जीवनदृष्टि हमें हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी। परिजनों ने दिल का दौरा पड़ने से डॉ. सुरेंद्र दुबे का निधन होने की पुष्टि की है।
बता दें कि डॉ. सुरेंद्र दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को छत्तीसगढ़ के दुर्ग ज़िले के बेमेतरा में हुआ। पारंपरिक पृष्ठभूमि से आने वाले डॉ. दुबे ने आयुर्वेदिक चिकित्सा को अपना पेशा बनाया, लेकिन शब्दों के इलाज से समाज को जो राहत उन्होंने दी, वह किसी औषधि से कम नहीं थी। डॉ. दुबे को 2010 में भारत सरकार द्वारा देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री प्रदान किया गया। इससे पहले, 2008 में उन्हें काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार से भी नवाजा गया था। उन्होंने पाँच पुस्तकें लिखीं, जो हास्य-व्यंग्य साहित्य में मील का पत्थर मानी जाती हैं। साहित्यिक योगदान की विरासत कविता केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि समय का दस्तावेज़ भी होती है। डॉ. सुरेंद्र दुबे ने अपने व्यंग्य और हास्य से सामाजिक विसंगतियों, राजनीतिक हलचलों और मानवीय संवेदनाओं को छुआ। उन्होंने हमें सिखाया कि हँसी सिर्फ मनोरंजन नहीं, एक क्रांति हो सकती है। वह आवाज़, जो मंच पर आते ही तालियों से स्वागत पाती थी, अब सदा के लिए मौन हो गई है।